About the Book शोर... अंतर्मन का कोलाहल या कहें की शून्यता, बाहर की अव्यवस्थित व्यवस्था से अलग, चिंतित मन का व्यथित लेकिन व्यवस्थित सुर है जो किसी भी इंसान को जीने की वजह भी देता है और जीने का उद्देश्य भी लेकिन आख़िर यह शोर पनपता ही क्यूँ है? कौन सही है, कौन गलत? कौन आज़ाद है, कौन क़ैद? अजीब सवालों के ऐसे बवंडर में ज़िंदगी उलझ जाती है कि हर कदम पर चौराहा आ जाता है। जब आस-पास देखते हैं तो लोग अपने लगते हैं लेकिन जब उनका हाथ पकड़ने की कोशिश करो तो ऐसा लगता है कि हाथ किसी ख्वाब से होकर गुजरा हो, एकदम खाली। उदास दिल बहुत कुछ करने की इज़ाज़त नहीं देता लेकिन वो ऐसे फैसले लेने को मजबूर कर देता है जो आप कभी लेना नहीं चाहते थे। यह कहानी कुछ ऐसे ही परिवारों की है जो साथ तो हैं लेकिन अपने बच्चों को समझने में नाकाम हो रहे हैं और कुछ बच्चे अपने माँ-बाप की परवरिश पर ही सवाल उठा रहे हैं। जिनको अपना समझकर जिम्मेदारी सौपीं वही विश्वासघात कर रहे हैं और कुछ कामयाबी के लिये कुछ भी कर गुजरने के लिये तैयार हैं।
ThriftBooks sells millions of used books at the lowest everyday prices. We personally assess every book's quality and offer rare, out-of-print treasures. We deliver the joy of reading in recyclable packaging with free standard shipping on US orders over $15. ThriftBooks.com. Read more. Spend less.