राज का दिल अंदर से टूटा जा रहा था। ऐसा दर्द उसने कभी महसूस नहीं किया था। रह-रह कर उसे उर्वशी का ट्रेन की खिड़की पकड़ कर भागना याद आ रहा था। वो ऐसे भाग रही थी जैसे उसकी सारी ज़िंदगी उसके हाथों से निकलती जा रही थी। और राज को यूँ लग रहा था मानो उसकी ज़िंदगी पीछे छूटती जा रही थी।