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Paperback Anath [Hindi] Book

ISBN: 9356824843

ISBN13: 9789356824843

Anath [Hindi]

कुछ क्षण बाद मुँह का स्वाद फिर पहले जैसा हुआ, लेकिन भूख अँतड़ियों को काटने लगी। उसने लकड़ी लेकर जमीन को खोदा और मिट्टी के नीचे से पतली जड़ निकाल कर चबाना शुरू किया, पर यह भी कड़वी और दुःस्वादु थी, तो भी चबाते वक्त उससे रस निकला, जिसके भीतर जाने से अनाथ का चित्त कुछ तुष्ट हुआ। वह आँखों को दबाकर चेहरे पर सिकुड़न डाले हुए चबाई हुई जड़ को जोर लगाकर निगल गया। मन खराब नहीं हुआ और जड़ ने जाकर पेट में स्थान लिया। अनाथ की हिम्मत बढ़ी और उसने और भी कितनी ही जड़ों को खोदकर खाया। पेट को कुछ आराम मिला। उसको भी कुछ हिम्मत हुई। इस तरह वह फिर आगे रवाना हुआ। आज अनाथ ने कई बार जड़ और पानी से पेट को आराम दिया और शाम तक माँ की खोज करता रात में फिर एक गड्ढे में पड़ कर सो रहा। शाम को आसानी से नींद आयी, लेकिन रात को नींद उचट गयी। उसके पेट में दर्द होने लगा। उसने कै करना चाहा, लेकिन के में कुछ निकला नहीं। उसने पानी से बाहर पड़ी मछली की तरह रात बितायी। सूर्योदय के बाद वह फिर गड्ढे से निकला, लेकिन पेट के दर्द और पैर के फफोलों ने उसमें चलने की शक्ति नहीं रखी। फफोलों ने फूटकर पैर को घायल बना दिया था। अब उसके सामने दो ही रास्ते थे या तो उसी जगह पड़ा-पड़ा भाग्य पर विश्वास कर मर

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Format: Paperback

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